आमतौर पर शनिवार को शेयर बाजार बंद रहता है, लेकिन इस बार 4 अक्टूबर 2025 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने मॉक ट्रेडिंग सेशन आयोजित किया. इस सेशन का मकसद बाजार की तकनीकी तैयारी को जांचना और ब्रोकरों व ट्रेडर्स को नई सुविधाओं से परिचित कराना था.
मॉक ट्रेडिंग क्यों होती है?
मॉक ट्रेडिंग असली ट्रेडिंग जैसी होती है, लेकिन इसमें असली पैसे का लेन-देन नहीं किया जाता. यह सिर्फ टेस्टिंग और प्रैक्टिस के लिए होती है. एक्सचेंज इससे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका सिस्टम सही से काम कर रहा है या नहीं. इसके साथ ही, यह ब्रोकरों और ट्रेडर्स के लिए मौका होता है कि वे बिना किसी रिस्क के नई तकनीक और नियमों को समझ सकें. अगर कभी बाजार में अचानक दिक्कत या ज्यादा ट्रेडिंग का दबाव आए, तो सिस्टम कैसे काम करेगा यह भी इसमें चेक किया जाता है.
किन-किन सेगमेंट में हुई मॉक ट्रेडिंग
BSE और NSE ने इस मॉक ट्रेडिंग में इक्विटी, करेंसी डेरिवेटिव्स और कमोडिटी डेरिवेटिव्स जैसे बड़े सेगमेंट शामिल किए. इसके साथ ही, ब्लॉक डील, कॉल ऑक्शन और ट्रेडिंग रुकने (हॉल्ट) जैसी स्थितियों का भी अभ्यास किया गया. इससे ब्रोकरों और निवेशकों को अलग-अलग हालात में बाजार के काम करने का अनुभव मिला.
टाइम टेबल और ट्रेडिंग का शेड्यूल
इस मॉक ट्रेडिंग के लिए पूरा शेड्यूल जारी किया गया था:
- लॉगिन: सुबह 10:15 से 11:00 बजे तक
- प्री-ओपन सेशन: 11:00 से 11:08 बजे तक
- ऑर्डर मिलान: 11:08 से 11:15 बजे तक
- मुख्य ट्रेडिंग (T+1): 11:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक
- T+0 ट्रेडिंग: दोपहर 1:30 बजे तक
- IPO और नई लिस्टिंग वाले शेयरों के लिए खास प्री-ओपन सेशन भी रखा गया
इसके अलावा, ब्लॉक डील विंडो, कॉल ऑक्शन और क्लोजिंग के बाद की प्रक्रियाओं का भी अभ्यास किया गया.
निवेशकों और ब्रोकरों को क्या मिला फायदा
इस मॉक ट्रेडिंग सेशन का सबसे बड़ा फायदा यह रहा कि ब्रोकर और ट्रेडर्स बिना असली पैसा लगाए नई सुविधाओं और सिस्टम को टेस्ट कर सके. इसमें किए गए सौदों पर कोई पेमेंट या मार्जिन का दबाव नहीं था. BSE और NSE ने साफ कहा कि इस सेशन में की गई ट्रेडिंग से न कोई फायदा होगा और न ही कोई नुकसान. यह सिर्फ प्रैक्टिस और सिस्टम चेक करने के लिए किया गया था.
सेबी और एक्सचेंज की तैयारी
भारतीय बाजार रेगुलेटर SEBI ने 2020 में कहा था कि सभी एक्सचेंज समय-समय पर मॉक ट्रेडिंग करें, ताकि सिस्टम और ब्रोकर हर वक्त तैयार रहें. इसी दिशा में BSE और NSE नियमित रूप से ऐसे सेशन आयोजित करते रहते हैं. इससे यह सुनिश्चित होता है कि अगर कभी बाजार में अचानक दबाव बढ़े, तो भी सिस्टम सही तरीके से काम करे और निवेशकों को कोई परेशानी न हो.
डिजिटल दौर में बढ़ी जिम्मेदारी
पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार पूरी तरह डिजिटल हो गया है. अब लाखों लोग मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे बाजार में निवेश करते हैं. ऐसे में अगर किसी तकनीकी दिक्कत आ जाए, तो उसका असर बड़े स्तर पर पड़ सकता है. मॉक ट्रेडिंग से यह पता चलता है कि सिस्टम कितनी मजबूती से काम कर रहा है. यही कारण है कि एक्सचेंज ऐसे सेशन को बेहद जरूरी मानते हैं.
निवेशकों के लिए भरोसे की बात
हालांकि मॉक ट्रेडिंग में आम निवेशक सीधे हिस्सा नहीं लेते, लेकिन इसका फायदा उन्हें भी मिलता है. जब ब्रोकर और एक्सचेंज सिस्टम को टेस्ट करते हैं, तो निवेशकों को यह भरोसा मिलता है कि असली ट्रेडिंग में कोई तकनीकी दिक्कत नहीं आएगी.
सोर्स – BSE, NSE
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