भारत में टैक्स सिस्टम को आसान बनाने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई घंटों की चर्चा और मतभेदों के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने जीएसटी सुधार पर बड़ा फैसला लिया. अब देश में चार नहीं, सिर्फ दो जीएसटी स्लैब होंगे 5% और 18%.
इसके अलावा लग्जरी सामान और सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों पर 40% का अलग टैक्स स्लैब लागू किया गया है. इसमें सिगरेट, पान मसाला, महंगी गाड़ियां और प्राइवेट जेट जैसी चीजें शामिल होंगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस फैसले को “नेक्स्ट जनरेशन सुधार” बताया. वहीं विपक्ष का कहना है कि यह फैसला पहले ही आ जाना चाहिए था, ताकि आम जनता को राहत जल्दी मिलती.
राज्यों के विरोध के बावजूद बड़ा फैसला
बैठक के दौरान केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने मुआवजे के मुद्दे पर आपत्ति जताई. इन राज्यों का कहना था कि टैक्स स्लैब में बदलाव से उनकी आमदनी घटेगी, और इसकी भरपाई केंद्र सरकार को करनी चाहिए. लेकिन इस मतभेद के बावजूद वित्त मंत्री ने साफ कहा — “चाहे पूरी रात बैठना पड़े, फैसला आज ही होगा.”
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने सुझाव दिया कि अगर सभी की राय नहीं बन रही है, तो वोटिंग कराई जाए. आमतौर पर जीएसटी काउंसिल में फैसले सर्वसम्मति से होते हैं, लेकिन इस बार हालात अलग थे. आखिरकार वोटिंग के जरिए प्रस्ताव पास हुआ और देश की जीएसटी नीति में बड़ा बदलाव दर्ज हुआ.
नए ढांचे के तहत अब 5% स्लैब में दूध, पनीर, नूडल्स, टॉफी और चीनी जैसी रोजमर्रा की चीजें रखी गई हैं. वहीं, हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर अब जीएसटी जीरो कर दिया गया है. इससे आम लोगों और मध्यम वर्गीय परिवारों को सीधी राहत मिलेगी.
स्पेशल 40% स्लैब और अर्थव्यवस्था पर असर
सरकार ने नया स्पेशल 40% टैक्स स्लैब उन चीजों पर लागू किया है जिन्हें “सन टैक्स कैटेगरी” में रखा गया है. इसमें सिगरेट, पान मसाला, शराब, मीठे ड्रिंक्स, लग्जरी कारें, प्राइवेट जेट और महंगी बाइक जैसी वस्तुएं शामिल हैं. सरकार का कहना है कि ये प्रोडक्ट सेहत और समाज दोनों के लिए नुकसानदेह हैं, इसलिए इन पर ज्यादा टैक्स लगना ठीक है.
इस फैसले के आर्थिक नतीजे भी अच्छे दिख रहे हैं. अगर कोई व्यक्ति पहले हर महीने ₹2000 की किराने की खरीद करता था, तो अब उसे करीब ₹1000 की बचत होगी. हेल्थ इंश्योरेंस पर भी करीब ₹1800 की राहत मिलेगी.
रियल एस्टेट सेक्टर में भी इसका असर दिख रहा है. पहले 40 लाख रुपये की लागत से बनने वाला घर अब लगभग 39 लाख में तैयार हो सकेगा. बाजार जानकारों का कहना है कि इससे लोगों की खरीदारी और घरेलू खपत बढ़ेगी, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है.
स्पेशल 40% स्लैब और अर्थव्यवस्था पर असर
सरकार ने नया स्पेशल 40% टैक्स स्लैब उन चीजों पर लागू किया है जिन्हें “सन टैक्स कैटेगरी” कहा गया है. इसमें सिगरेट, पान मसाला, शराब, मीठे ड्रिंक्स, लग्जरी कारें, प्राइवेट जेट और महंगी बाइक जैसी चीजें शामिल हैं. सरकार का कहना है कि ये प्रोडक्ट सेहत और समाज दोनों के लिए नुकसानदेह हैं, इसलिए इन पर ज्यादा टैक्स लगना जरूरी है.
इस फैसले का असर अर्थव्यवस्था पर भी दिख रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति पहले हर महीने ₹2000 की किराने की खरीद करता था, तो अब उसे करीब ₹1000 की बचत होगी. हेल्थ इंश्योरेंस पर भी लगभग ₹1800 की राहत मिलेगी.
रियल एस्टेट सेक्टर में भी इस सुधार का फायदा दिख रहा है. पहले 40 लाख रुपये में बनने वाला घर अब लगभग 39 लाख रुपये में तैयार हो सकेगा. बाजार के जानकारों का कहना है कि इससे लोगों की खरीदारी बढ़ेगी और घरेलू खपत में तेजी आएगी. यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.
जीएसटी सुधार की पृष्ठभूमि और आगे की दिशा
यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है. साल 2021 में जीएसटी काउंसिल ने एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बनाया था, जिसने टैक्स सिस्टम को आसान बनाने की सिफारिश की थी. 15वें वित्त आयोग ने भी कहा था कि टैक्स दरें घटाई जाएं और जटिल स्लैब्स को मिलाया जाए.
2025 के बजट में जब सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री किया और आरबीआई ने रेपो रेट घटाया, तब महंगाई में गिरावट आई. इसके बाद सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती कर टैक्स सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाया.
हालांकि, मुआवजे का मुद्दा अब भी चर्चा में है. कुछ राज्यों का कहना है कि उन्हें 2000 से 7000 करोड़ रुपये तक की आमदनी का नुकसान होगा. केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया है कि यह कमी कंपनसेशन सेस से पूरी की जाएगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नया ढांचा सिर्फ टैक्स सुधार नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक अर्थव्यवस्था की ओर कदम है. उन्होंने कहा, “जब उपभोक्ता पर टैक्स का बोझ घटता है, तो बाजार में मांग बढ़ती है, और यही असली आर्थिक विकास की नींव है.”
नया जीएसटी सुधार: कर प्रणाली में बड़ा बदलाव और उपभोक्ताओं को राहत
नए जीएसटी सुधार को भारत की टैक्स नीति में अब तक का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है. इससे टैक्स व्यवस्था न सिर्फ आसान हुई है, बल्कि आम लोगों को भी राहत मिली है. छोटे कारोबारियों, मध्यमवर्गीय परिवारों और बीमा क्षेत्र को इसका सीधा फायदा पहुंचेगा.
हालांकि कुछ राज्यों की चिंताएं अब भी बनी हुई हैं, लेकिन सरकार का उद्देश्य साफ है घरेलू बाजार को रफ्तार देना और लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा छोड़ना. आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि यह नेक्स्ट जनरेशन सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को कितनी मजबूती देता है.
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