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अमेरिका में H1B और L1 वीजा पर नया बिल: भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए बड़ी चुनौती

अमेरिकी कैपिटल बिल्डिंग के सामने खड़ा भारतीय आईटी प्रोफेशनल, H1B वीज़ा बदलाव को दर्शाता हुआ

अमेरिका में H1B और L1 वीजा को लेकर नया बिल फिर से सुर्खियों में है. अमेरिकी सेनेट की जुडिशरी कमेटी ने यह बिल पेश किया है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. बिल का मकसद कंपनियों पर कड़ा नियंत्रण रखना और अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा करना है. H1B और L1 वीजा लंबे समय से भारतीयों के लिए पसंदीदा रहे हैं, खासकर आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर में.

H1B और L1 वीजा पर नए नियम

नए बिल के मुताबिक, H1B वीजा पर काम करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए न्यूनतम वेतन बढ़ा दिया जाएगा. इसका मतलब है कि कंपनियों को भारतीय या विदेशी वर्कर्स को वही सैलरी देनी होगी जो अमेरिकी कर्मचारियों को मिलती है. इसके साथ ही, हर नौकरी की जानकारी पब्लिकली पोस्ट करना जरूरी होगा ताकि यह दिख सके कि पहले अमेरिकी वर्कर्स को मौका दिया गया.

L1 वीजा, जो मल्टीनेशनल कंपनियां अपने कर्मचारियों को ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल करती हैं, उस पर भी निगरानी बढ़ाई जाएगी. कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सिर्फ असली और हाई स्किल वाले प्रोफेशनल्स ही वीजा पा सकें. H1B और L1 वीजा पर ये नए नियम भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए चुनौतियां और बढ़ा सकते हैं, क्योंकि अब के नियम पहले से काफी कड़े हो गए हैं.

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कंपनियों और अमेरिकी वर्कर्स पर असर

बिल पेश करने वाले अमेरिकी सेनेट के चेयरमैन चक ग्रासले और सदस्य डिक डबिन ने Google, Amazon और Meta जैसी बड़ी कंपनियों पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जब कंपनियां हजारों अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से हटा रही हैं, तो नई H1B वर्कर्स की जरूरत क्यों है. इससे लगता है कि कुछ कंपनियां अमेरिकी वर्कर्स की जगह सस्ते विदेशी कर्मचारियों पर भरोसा कर रही हैं.

भारतीय प्रोफेशनल्स, जो H1B वीजा पाने में सबसे ज्यादा हिस्सा रखते हैं, अब इस बिल के बाद दोहरी चुनौती का सामना करेंगे. पहले, वीजा की लागत बढ़ गई है और दूसरा, और जांच पहले से ज्यादा कड़ी हो जाएगी. 

भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए सुझाव

भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों को इस बदलती स्थिति के हिसाब से तैयारी करनी होगी. सबसे पहले, अपने स्किल्स को अपडेट करना जरूरी है. औसत स्किल वाले उम्मीदवारों के लिए H1B वीजा पाना अब मुश्किल हो गया है. इसलिए AI, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और अन्य उभरती फील्ड्स पर ध्यान देना चाहिए.

दूसरा, ट्रांसपेरेंसी चेक करना जरूरी है. अगर कोई छोटी कंपनी या कंसल्टेंसी H1B स्पॉन्सरशिप ऑफर कर रही है, तो इसे अच्छे से वेरिफाई करें. कई बार ऐसे एंप्लॉयर्स पर गलत इस्तेमाल के आरोप लगे हैं. तीसरा, वैकल्पिक देशों पर ध्यान दें. केवल अमेरिका पर निर्भर रहना अब जोखिम भरा हो सकता है. कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों में भी स्किल्ड वर्कर्स के लिए नए प्रोग्राम्स शुरू हो रहे हैं.

नेटवर्किंग और सही जॉब सर्च अब सिर्फ डिग्री या अनुभव पर नहीं टिक सकती. अमेरिकी कंपनियां अपने हायरिंग प्रोसेस को पब्लिक करने के लिए मजबूर होंगी. इसलिए असली जॉब पोर्टल्स और ऑफिशियल वेबसाइट्स पर नजर रखना जरूरी है.

अमेरिका को ग्लोबल टैलेंट चाहिए, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण विदेशी वर्कर्स पर नियम भी कड़े किए जा रहे हैं. H1B और L1 वीजा के ये बदलाव भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए नए अवसर और चुनौतियां दोनों लाएंगे. इस समय जरूरी है कि वे अपनी स्किल्स अपडेट रखें, वैकल्पिक देशों के अवसर देखें और केवल भरोसेमंद जॉब विकल्प चुनें.

H1B वीजा, L1 वीजा, भारतीय प्रोफेशनल्स, अमेरिकी वर्कर्स, अमेरिकी सेनेट जैसे मुख्य कीवर्ड्स और उनके LSI कीवर्ड्स जैसे एच वनबी, एल वन वीजा, आईटी सेक्टर, जेन्युइन टैलेंट और वीजा एप्लीकेशन को ध्यान में रखते हुए ये बदलाव आने वाले सालों में अमेरिकी वर्क मार्केट और भारतीय प्रोफेशनल्स दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे.


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