दिवाली 2025 के समय भारतीय शेयर बाजार एक नई दिशा में खड़ा है सरकार के उपभोक्ता प्रोत्साहन (कंजम्प्शन स्टिमुलस) और कर कटौती के बाद निवेशकों का भरोसा फिर से लौट आया है.
मार्सलेस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी के मुताबिक, आने वाले महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था में बेहतरी के संकेत दिख रहे हैं. वे कहते हैं कि कर में छूट, जीएसटी में राहत और आरबीआई की ब्याज दरों में गिरावट मिलकर एक मजबूत प्रोत्साहन पैकेज बना रही हैं. इससे खरीदारी और मांग में तेजी आ सकती है.
सितंबर तिमाही में इसका असर कम ही रहेगा. लेकिन दिसंबर 2025 से बाजार में नई खरीदारी की बढ़ोतरी नजर आ सकती है. उनका मानना है कि 2026 भारत में खरीदारी और आर्थिक गतिविधियों के लिए बेहतर साल होगा.सरकार की नीतियों में बदलाव से आम लोगों की जेब में इनकम टैक्स कटौती से पैसा बचा है. वहीं कंपनियों को कॉरपोरेट टैक्स में राहत मिलने से उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हो रही है. ये सब मिलकर भारतीय बाजार को लंबे समय तक ताकत दे सकते हैं.
ग्लोबल मार्केट्स में बदलाव, निवेशकों के लिए नया मौका
सौरभ मुखर्जी ने कहा कि इस समय ग्लोबल मार्केट्स में भारत और अमेरिका के रुझान एक-दूसरे के उलट हैं. अमेरिका में बड़ी कंपनियों के शेयर, जैसे Nvidia, रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. लेकिन छोटी और छोटी मध्यम कंपनियां सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं. भारत में इसके उलट स्थिति है. यहां छोटी और छोटी मध्यम कंपनियों के शेयर महंगे हो गए हैं, जबकि बड़ी कंपनियों में निवेश का अच्छा मौका है.
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मुखर्जी ने बताया कि उनकी फर्म ने अमेरिका और यूरोप में सस्ती छोटी और छोटी मध्यम कंपनियों के शेयर खरीदे हैं. भारत में उन्होंने HDFC Bank, Titan और Divi’s Lab जैसी बड़ी और भरोसेमंद कंपनियों पर दांव लगाया है. उनका कहना है कि अगर निवेशक समझदारी से काम लें, तो भारत में बड़ी कंपनियों और विदेशों में छोटी-छोटी मध्यम कंपनियों के शेयरों से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
यह समय निवेशकों के लिए अपने पैसे को अलग-अलग जगह लगाने का सही मौका है. भारत का बाजार दुनिया का सिर्फ 3% हिस्सा है, जबकि अमेरिका का बाजार लगभग 70% है. इसलिए मुखर्जी ने सलाह दी कि निवेशक अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा पश्चिमी देशों के बाजारों में लगाएं. इससे जोखिम कम होगा और मुनाफा बेहतर मिल सकता है.
सोना-चांदी की चमक, टैरिफ का झटका और आगे की राह
इस साल सोने-चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है. इसके पीछे दुनिया की अनिश्चितता, अमेरिका-चीन तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारण हैं. सौरभ मुखर्जी कहते हैं कि जब तक डर का माहौल रहेगा, सोने-चांदी की चमक बनी रहेगी. हालांकि, वे अभी निवेश करने से पहले थोड़ा रुकने की सलाह देते हैं.
उन्होंने कहा, “जब यह डर कम होगा, तभी सोने-चांदी में निवेश करना सही रहेगा. अभी कीमतें ऊंची हैं, इसलिए इंतजार करना बेहतर है.”
दूसरी तरफ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ ने भारत के निर्यात क्षेत्र को बड़ा झटका दिया है. कपड़ा, चमड़ा और रत्न-आभूषण उद्योग पर इसका सीधा असर पड़ा है. मुखर्जी का अनुमान है कि अगर क्रिसमस से पहले अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं हुआ, तो लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं.
इससे भारत की कमाई की बढ़ोतरी पर दबाव पड़ेगा. 2026 तक बाजार से बड़े मुनाफे की उम्मीद कम हो सकती है. फिर भी, बड़ी कंपनियों के अच्छे शेयर और विदेशी छोटी मध्यम कंपनियों में निवेश सुरक्षित विकल्प बने रहेंगे.
सोच-समझकर निवेश करें, अपने पैसे को फैलाएं
2025 की दिवाली पर निवेशकों के लिए सौरभ मुखर्जी का संदेश साफ है . “सिर्फ भारतीय शेयर बाजार पर भरोसा न करें.” पैसे को अलग-अलग जगह लगाने से जोखिम कम होगा और विदेशी बाजारों का फायदा भी मिलेगा. भारत में उपभोक्ता प्रोत्साहन से सुधार की उम्मीद है लेकिन विश्व आर्थिक दबाव को देखते हुए, संतुलित निवेश ही सबसे सही कदम है.
अगले एक साल तक निवेशकों को चाहिए कि वे बड़ी कंपनियों पर ध्यान दें. अपने निवेश की योजना की जांच करें. जरूरत हो तो विदेशी बाजारों में निवेश बढ़ाएं. साफ है कि इस दिवाली से अगली दिवाली तक का सफर भारतीय बाजार के लिए नई चुनौतियां और अवसर लाएगा बस, निवेशकों को सोच समझकर कदम उठाना होगा.
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