भारत की अर्थव्यवस्था पर आई नई रिपोर्ट में बड़ा अलर्ट दिया गया है. ग्लोबल फाइनेंशियल कंपनी मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि अगर भारत की जीडीपी हर साल कम से कम 12.2% नहीं बढ़ी, तो जॉब का संकट और बढ़ेगा. इस समय सरकार की अनुमानित ग्रोथ 6.3% से 6.8% के बीच है, यानी ज़रूरी टारगेट का लगभग आधा. अप्रैल-जून में ग्रोथ 7.8% तक जरूर पहुंची, लेकिन यह नौकरियों की मांग पूरी करने के लिए काफी नहीं है.
युवाओं के लिए नौकरी पाना मुश्किल
हर साल करोड़ों नए युवा जॉब की तलाश में मार्केट में आते हैं. लेकिन जितनी तेजी से लोग जॉब ढूंढ रहे हैं, उतनी तेजी से नई जॉब्स बन नहीं रही हैं. इसी वजह से बेरोजगारी और अधूरी नौकरियों की समस्या बढ़ रही है. रिपोर्ट बताती है कि बड़ी संख्या में लोग ऐसे काम कर रहे हैं, जिनमें उनकी पढ़ाई और स्किल्स का पूरा इस्तेमाल नहीं हो रहा. खेती और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर सबसे ज्यादा जॉब्स दे रहे हैं, लेकिन इनकी प्रोडक्टिविटी कम है. कंपनियों को जिन नए स्किल्स की जरूरत है, वे युवाओं तक समय पर नहीं पहुंच रहे. नतीजा यह है कि लाखों योग्य उम्मीदवार सही जॉब से दूर रह जाते हैं.
विदेश में मौके कम, दबाव देश पर
आईटी और इंजीनियरिंग प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका जैसे देशों में जॉब पाना अब और मुश्किल हो गया है. हाल ही में अमेरिका ने एच-1बी वीज़ा फीस बढ़ा दी, जिससे भारतीय टैलेंट के लिए वहां काम करना और भी कठिन हो गया. अगर भारतीय प्रोफेशनल्स को बाहर मौके नहीं मिलेंगे, तो भारत को ही उन्हें एडजस्ट करना होगा. इसका सीधा असर घरेलू जॉब मार्केट पर पड़ेगा. आने वाले 10 सालों में देश को 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को जॉब देनी होगी. इसके लिए तेज़ और इनक्लूसिव ग्रोथ बेहद जरूरी है.
विदेश से भी बढ़ रहा दबाव
भारत की परेशानी सिर्फ घरेलू नहीं है. अमेरिका ने भारतीय सामान पर 50% तक टैक्स बढ़ा दिया है. इसका सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल, लेदर और गारमेंट्स जैसे सेक्टर्स पर पड़ रहा है, जहां बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं. अगर एक्सपोर्ट घटेगा, तो फैक्ट्रियों में ऑर्डर कम होंगे, प्रोडक्शन रुक जाएगा और जॉब्स भी छूटेंगी. रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट स्थिर रखा, लेकिन कहा कि अमेरिकी टैक्स का असर ग्रोथ पर पड़ सकता है.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा
सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत घरेलू प्रोडक्शन और सप्लाई चेन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. इसका मकसद इंपोर्ट पर निर्भरता कम करना और भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है. लेकिन यह प्रोसेस लंबा है. अभी सबसे बड़ी जरूरत तुरंत जॉब्स बनाने की है. लंबी योजनाओं के साथ-साथ ऐसे कदम भी चाहिए जिनका असर जल्दी दिखे.
भारत को 12.2% ग्रोथ तक पहुंचाने के लिए चार बड़े कदम
रिपोर्ट के अनुसार, भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चार बड़े कदम उठाने होंगे.
1. इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश – सड़क, रेल, बिजली और डिजिटल नेटवर्क जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देना.
2. मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा – सिर्फ सस्ते प्रोडक्ट्स नहीं, बल्कि हाई-वैल्यू सामान बनाना.
3. नए एक्सपोर्ट मार्केट्स – अमेरिका और यूरोप पर निर्भरता घटाकर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में नए मौके तलाशना.
4. रिफॉर्म्स – जमीन, लेबर और बिजनेस से जुड़े नियम आसान बनाना.
भारत की ताकत और उम्मीद
मुश्किलें बड़ी हैं, लेकिन भारत की ताकत भी कम नहीं है. यह अभी भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है. घरेलू मांग मजबूत है और डिजिटल व ग्रीन सेक्टर्स तेजी से नए जॉब्स बना रहे हैं. अगर भारत सही रणनीति अपनाता है, निवेश आकर्षित करता है और ग्लोबल ट्रेड नीतियों में सक्रिय भूमिका निभाता है, तो 12% से ज्यादा ग्रोथ हासिल की जा सकती है.आने वाले साल तय करेंगे कि भारत इस चेतावनी को गंभीरता से लेता है या नहीं. सही फैसलों और तेज सुधारों से यह संकट भारत के लिए एक मौका भी बन सकता है.
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