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2025 में गोल्ड निवेश के दो तरीके – Gold ETF या Gold Mutual Fund, कौन बेहतर?

2025 में Gold ETF और Gold Mutual Fund में निवेश तुलना

भारत में सोना हमेशा से लोगों की पहली पसंद रहा है. जब भी महंगाई बढ़ती है या शेयर बाजार नीचे जाता है, लोग सोने में पैसा लगाना सुरक्षित समझते हैं. लेकिन अब सवाल ये नहीं है कि सोना खरीदना चाहिए या नहीं, बल्कि ये है कि सोने में निवेश करने का सही तरीका कौन सा है. 2025 में निवेशकों के सामने दो बड़े ऑप्शन हैं  Gold ETF एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और Gold Mutual Fund दोनों में अपने-अपने फायदे हैं और कुछ फर्क भी, जिन्हें जानना जरूरी है.

Gold ETF क्या है

Gold ETF ऐसे फंड होते हैं जिन्हें शेयर बाजार में खरीदा और बेचा जा सकता है. ये सोने की कीमत के साथ जुड़े रहते हैं. इसे खरीदने के लिए आपके पास Demat और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. इसकी खास बात यह है कि इसमें रियल-टाइम प्राइसिंग होती है, यानी आप बाजार खुलने के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं. ETF में खर्च भी कम आता है, लगभग 0.5% से 1% तक. हालांकि इसमें ब्रोकरेज चार्ज और कुछ ट्रांजैक्शन फीस भी लगती है.

Gold Mutual Fund कितना आसान है

Gold Mutual Fund उनके लिए बेहतर ऑप्शन है जो Demat अकाउंट नहीं खोलना चाहते. इसे आप SIP Systematic Investment Plan के ज़रिए शुरू कर सकते हैं. इसमें आप सिर्फ ₹500 प्रति माह से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसका NAV Net Asset Value दिन में एक बार अपडेट होता है. इन फंड्स में खर्च थोड़ा ज़्यादा होता है  लगभग 1% तक. से 1.2% तक. अगर आप जल्दी पैसा निकालते हैं, तो कुछ योजनाओं में एग्जिट चार्ज भी देना पड़ सकता है.

रिटर्न और लिक्विडिटी में फर्क

लिक्विडिटी दोनों में बड़ा फर्क लाती है. Gold ETF में आप मार्केट टाइम के दौरान तुरंत खरीद या बेच सकते हैं, जबकि Gold Mutual Fund से पैसा सिर्फ दिन के अंत में NAV के आधार पर ही निकाला जा सकता है. अगर सोने की कीमत हर साल लगभग 8% बढ़े, तो 5 साल में ₹10 लाख का निवेश Gold ETF में करीब ₹14.7 लाख तक हो सकता है. वहीं Gold Mutual Fund में यही रकम करीब ₹14.4 लाख बनती है. फर्क भले छोटा लगे, लेकिन लंबे समय में इसका असर साफ दिखता है.

टैक्स के नियमों में बदलाव

पहले Gold ETF और Gold Mutual Fund को Non-Equity Investment माना जाता था. अगर निवेश 3 साल से ज़्यादा समय तक रखा जाता था, तो 20% टैक्स के साथ Indexation का फायदा मिलता था. लेकिन 1 अप्रैल 2023 से लागू हुए Section 50AA के बाद ये नियम बदल गए हैं. अब नए निवेशों पर सारे मुनाफे शॉर्ट-टर्म गेन माने जाएंगे. यानी अब Indexation का फायदा नहीं मिलेगा और टैक्स थोड़ा ज़्यादा देना पड़ सकता है.

किसे क्या चुनना चाहिए

सीए नितिन कौशिक के अनुसार, Gold ETF उन लोगों के लिए बेहतर है जो एक्टिव तरीके से निवेश करना चाहते हैं, कम खर्च में रहना पसंद करते हैं और जिनके पास Demat अकाउंट है. वहीं Gold Mutual Fund उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है जो नए हैं, हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करना चाहते हैं और सिंपल तरीका पसंद करते हैं. इसके अलावा, ETF को कुछ मामलों में लोन के लिए गिरवी Collateral के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जो एक अतिरिक्त फायदा देता है.

2025 में गोल्ड निवेश की स्थिति

महँगाई, करेंसी में बदलाव और सेंट्रल बैंकों की गोल्ड खरीदारी की वजह से 2025 में सोने की मांग मजबूत रहने की उम्मीद है. विशेषज्ञों का मानना है कि सोना अब भी सुरक्षित निवेश बना रहेगा. Gold ETF और Gold Mutual Fund दोनों के अपने-अपने फायदे हैं  ETF में कम खर्च और ज्यादा लिक्विडिटी मिलती है.

जबकि Mutual Fund में सिंपल और ऑटोमैटिक निवेश की सुविधा होती है.अगर आप मार्केट को समझते हैं और खुद अपने निवेश पर नजर रखना चाहते हैं, तो Gold ETF आपके लिए सही रहेगा. वहीं अगर आप हर महीने आसानी से थोड़ी रकम निवेश करना चाहते हैं, तो Gold Mutual Fund बेहतर विकल्प है. आखिर में, दोनों का मकसद एक ही है आपके पैसे को सुरक्षित और फायदेमंद बनाना.


डिस्क्लेमर: यह जानकारी सिर्फ सामान्य निवेश जागरूकता के लिए है .इसमें दी गई बातें किसी तरह की निवेश सलाह नहीं हैं निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से ज़रूर सलाह लें.

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