आजकल बहुत से लोग अच्छी सैलरी पाने के बावजूद महीने के आखिर तक पैसे की कमी महसूस करते हैं यही कहानी चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) अभिषेक वालिया के एक क्लाइंट की है, जो पिछले पांच साल से ₹80,000 महीना कमा रहा था फिर भी उसकी नेटवर्थ में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई उसके खर्चे सामान्य लगते थे किराया, ग्रोसरी, EMI और वीकेंड पर थोड़ा एंजॉयमेंट फिर भी महीने के अंत में अकाउंट लगभग खाली हो जाता था.
CA वालिया ने बताया कि असली दिक्कत उसकी आमदनी में नहीं, बल्कि पैसे संभालने के तरीके में थी जैसे-जैसे सैलरी बढ़ती गई, वैसे-वैसे खर्च भी बढ़ते गए ₹5,000 का इंक्रीमेंट नई सब्सक्रिप्शन पर चला गया, ₹10,000 बढ़े तो नया गैजेट खरीद लिया धीरे-धीरे खर्च बढ़ता गया और बचत खत्म होती गई इसी स्थिति को ‘लाइफस्टाइल क्रीप’ (Lifestyle Creep) कहा जाता है यह एक ऐसी आदत है जो धीरे-धीरे आपकी बचत को खत्म कर देती है, और ज्यादातर लोग इसे महसूस भी नहीं करते यही कारण है कि अच्छी सैलरी के बावजूद कई लोग आर्थिक रूप से कमजोर बने रहते हैं.
सही सिस्टम अपनाने से सिर्फ 6 महीने में 1.9 लाख की बचत
CA अभिषेक वालिया ने अपने क्लाइंट के लिए एक स्मार्ट मनी गेम प्लान (Smart Money Game Plan) तैयार किया. उन्होंने सैलरी मिलते ही 30% रकम को SIP और इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) में ऑटोमेटिक ट्रांसफर करने का सिस्टम बनाया साथ ही, उन्होंने दो अलग कार्ड्स का नियम तय किया
- एक डेबिट कार्ड सिर्फ ज़रूरी खर्चों के लिए,
- और एक क्रेडिट कार्ड सिर्फ शौकिया खर्चों के लिए.
हर महीने खर्चों का रिव्यू किया गया ताकि पता चले कि पैसा कहां बेवजह जा रहा है. सिर्फ 6 महीने में नतीजे हैरान करने वाले थे बिना सैलरी बढ़ाए ही ₹1.9 लाख की बचत हो गई CA वालिया कहते हैं, “पैसे को कंट्रोल करने की कुंजी सैलरी नहीं, फाइनेंशियल डिसिप्लिन (Financial Discipline) है. जो भी व्यक्ति अपने खर्च और निवेश का बैलेंस बनाना सीख जाता है, वह जल्द ही आर्थिक रूप से आजाद हो सकता है.”
स्मार्ट मनी गेम प्लान’ क्या है और क्यों जरूरी है?
CA नितिन कौशिक के मुताबिक, 2025 में हर सैलरी पाने वाले व्यक्ति को एक स्मार्ट मनी गेम प्लान अपनाना जरूरी है. इसका मतलब है अपनी कमाई का आधा हिस्सा खर्च में और बाकी आधा निवेश में लगाना.
वह सलाह देते हैं कि आप पैसे को म्यूचुअल फंड, गोल्ड, रिटायरमेंट स्कीम, स्टॉक्स या क्रिप्टो में लगाएं, लेकिन पूरी समझ के साथ.साथ ही, हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस को कभी नज़रअंदाज न करें. ये आपकी फाइनेंशियल हेल्थ (Financial Health) को सुरक्षित रखते हैं.
कौशिक कहते हैं, “दूसरों से तुलना करने के बजाय अपनी आर्थिक स्थिति पर ध्यान दें. कर्ज तभी लें जब वह आपकी एसेट (Asset) बने, न कि लायबिलिटी (Liability). छोटी-छोटी बचतें और समझदारी भरे फैसले ही आपको असली फाइनेंशियल फ्रीडम (Financial Freedom) दिला सकते हैं.”
कैसे बचें ‘लाइफस्टाइल क्रीप’ और बढ़ाएं बचत?
- सैलरी बढ़े तो बचत भी बढ़ाएं: हर बार इंक्रीमेंट के साथ खर्च नहीं, बल्कि निवेश का प्रतिशत बढ़ाएं.
- ऑटोमेटिक सेविंग सेट करें: सैलरी आते ही निवेश को ऑटो-डिडक्ट करें ताकि पैसे को खर्च करने का मौका न मिले.
- खर्चों का रिव्यू करें: महीने में एक बार अपने कार्ड स्टेटमेंट और खर्चों की लिस्ट को देखें.
- शौक और ज़रूरत में फर्क समझें: हर ट्रेंडिंग चीज़ जरूरी नहीं होती.
- लॉन्ग-टर्म गोल्स तय करें: घर, रिटायरमेंट या बच्चों की पढ़ाई जैसे लक्ष्यों पर फोकस करें.
इन छोटे कदमों से आप न सिर्फ बचत बढ़ा सकते हैं, बल्कि आने वाले सालों में अपनी नेटवर्थ भी दोगुनी कर सकते हैं.
सैलरी नहीं, सोच बदलिए
अच्छी सैलरी होना बुरी बात नहीं है, लेकिन सही मनी मैनेजमेंट (Money Management) के बिना इसका कोई फायदा नहीं ज्यादातर लोग हर महीने मेहनत करते हैं, लेकिन गलत खर्च की आदतों के कारण आर्थिक तनाव झेलते हैं. अगर आप समय रहते अपने लिए एक स्मार्ट मनी गेम प्लान बना लें, तो सैलरी बढ़े या न बढ़े, आपकी बचत और फाइनेंशियल सेफ्टी दोनों बढ़ सकती हैं आखिर में याद रखें सैलरी आपको कमाई देती है, पर सही प्लानिंग ही आपको आजादी देती है.
डिस्क्लेमर – यह खबर सिर्फ फाइनेंस की सामान्य जानकारी के लिए है पैसे या निवेश का फैसला करने से पहले किसी भरोसेमंद सलाहकार से सलाह लें लेख में दी गई राय लेखक के अपने अनुभव पर आधारित है
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