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TCS कर्मचारियों का दावा मजबूरन दिलवाए जा रहे हैं इस्तीफे, कंपनी ने दी सफाई

TCS ऑफिस के बाहर चिंतित कर्मचारी, हाथ में इस्तीफा पत्र और बॉक्स

भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) इन दिनों कथित छंटनी की खबरों को लेकर सुर्खियों में है सोशल मीडिया और कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि कंपनी ने लगभग 12,000 कर्मचारियों की नौकरियां समाप्त कर दी हैं.

हालांकि, TCS ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है कंपनी का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में छंटनी की खबरें अफवाह मात्र हैं और इनमें किसी तरह का तथ्यात्मक आधार नहीं है.

फिर भी, इन खबरों ने कर्मचारियों के बीच असुरक्षा और चिंता का माहौल बना दिया है आईटी सेक्टर से जुड़े कई लोग मानते हैं कि इस तरह की चर्चाओं ने उद्योग में नौकरी की स्थिरता और भविष्य को लेकर डर को और बढ़ा दिया है.

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दावा

पिछले कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह खबर तेजी से वायरल हो रही है कि TCS ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है कई यूज़र्स का दावा है कि कंपनी ने प्रभावित कर्मचारियों को सर्वेंस पैकेज दिया और अचानक उनसे इस्तीफ़ा देने के लिए दबाव बनाया गया.

हालांकि, जब इस मामले में कंपनी से सीधे सवाल किया गया, तो TCS ने इन सभी दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया कंपनी का कहना है कि इस तरह की अफवाहों का कोई आधार नहीं है और उसका कामकाज पहले की तरह सामान्य रूप से जारी है.

यूनियनों और कर्मचारियों का आरोप

आईटी सेक्टर से जुड़ी कुछ यूनियनों का कहना है कि TCS की आधिकारिक घोषणा के मुकाबले कहीं ज्यादा कर्मचारी प्रभावित हुए हैं. एक राष्ट्रीय स्तर की आईटी यूनियन से जुड़े कर्मचारी ने दावा किया कि जून से अब तक लगभग 10,000 कर्मचारियों ने उनकी संस्था से संपर्क किया है.

यूनियन का आरोप है कि कंपनी ने कई कर्मचारियों पर स्वेच्छा से इस्तीफ़ा देने का दबाव बनाया, ताकि यह छंटनी आधिकारिक रिकॉर्ड में न दिखे. प्रभावित कर्मचारियों के मुताबिक, उन्हें अचानक ईमेल भेजकर इस्तीफ़ा देने को कहा गया और कई मामलों में नोटिस पीरियड का पालन तक नहीं कराया गया.

फ्लुइडिटी लिस्ट और बेंच पॉलिसी पर सवाल

कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि TCS में “फ्लुइडिटी लिस्ट” नामक एक सूची तैयार की जाती है इस सूची में उन कर्मचारियों के नाम शामिल किए जाते हैं जो लंबे समय तक बेंच पर रहते हैं या जिनके पास कोई नया प्रोजेक्ट नहीं आता.

कर्मचारियों का कहना है कि इस सूची का इस्तेमाल छंटनी के लिए किया जा रहा है, जबकि इसमें कर्मचारियों की असली स्किल, परफॉर्मेंस या अनुभव को पूरी तरह नजर अंदाज किया जाता है कई कर्मचारियों ने बताया कि अच्छी परफॉर्मेंस रेटिंग होने के बावजूद उन्हें इस सूची में शामिल किया गया, जिससे उनके करियर और नौकरी की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं.

कर्मचारियों की आपबीती

कई मिड-लेवल कर्मचारियों ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि उन्हें महीनों तक बेंच पर रखा गया और उन्हें नए प्रोजेक्ट्स नहीं दिए गए धीरे-धीरे एचआर और प्रबंधन की ओर से कॉल आने लगे, जिसमें यह पूछा जाता कि वे नए प्रोजेक्ट्स पाने के लिए कितनी कोशिश कर रहे हैं.

एक कर्मचारी ने बताया कि 10 साल से ज्यादा काम करने के बाद उन्हें अचानक इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया गया और कंपनी ने उनका सिस्टम एक्सेस भी बंद कर दिया कुछ कर्मचारियों ने यह भी कहा कि बेंच पर रहने के दौरान मिलने वाले लाभों की रिकवरी भी कंपनी ने की, जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ गया.

कंपनी का आधिकारिक बयान

TCS ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा है कि कंपनी भविष्य की जरूरतों और तकनीकी बदलावों पर ध्यान केंद्रित कर रही है प्रबंधन का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन जैसी नई तकनीकों को अपनाने के लिए कर्मचारियों को लगातार नई स्किल्स सीखनी होंगी.

कंपनी ने स्पष्ट किया कि बड़े पैमाने पर छंटनी की खबरें केवल अफवाह हैं और इनका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है इसके अलावा, TCS ने बताया कि कर्मचारियों के लिए नई नीतियां लागू की गई हैं इन नीतियों के अनुसार, कर्मचारियों को हर साल न्यूनतम कामकाजी दिनों को पूरा करना होगा और बेंच पर रहने की सीमा का पालन करना अनिवार्य है.

आईटी सेक्टर में बढ़ती असुरक्षा

भले ही कंपनी छंटनी की खबरों को नकार रही हो, लेकिन कर्मचारियों और आईटी सेक्टर के भीतर असुरक्षा की भावना साफ दिखाई दे रही है कई विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी के बाद कंपनियों ने बड़े पैमाने पर हायरिंग की थी अब जब प्रोजेक्ट्स की संख्या उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पाई, तो खर्च कम करने के लिए कर्मचारियों पर दबाव डाला जा रहा है.

इस स्थिति ने न केवल TCS, बल्कि अन्य बड़ी आईटी कंपनियों में भी नौकरी की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं कर्मचारी और विशेषज्ञ दोनों ही इस बात को लेकर चिंतित हैं कि भविष्य में नौकरी की स्थिरता पर क्या असर पड़ेगा.


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